
पैतृक संपत्ति में बहनों के अधिकार को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं – क्या बहन भाई की अनुमति के बिना अपनी संपत्ति बेच सकती है? भारतीय कानून, विशेष रूप से हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम-Hindu Succession Act, 1956, के अनुसार बेटियों को उनके पिता की पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले (2020) ने इस बात को और भी स्पष्ट कर दिया कि बेटियों को जन्म से ही पैतृक संपत्ति में अधिकार प्राप्त होता है, भले ही पिता की मृत्यु किसी भी वर्ष हुई हो।
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बहन अपना हिस्सा बिना भाई की सहमति के बेच सकती है?
यदि पैतृक संपत्ति का विधिवत बंटवारा हो चुका है और बहन को उसका हिस्सा मिल चुका है, तो वह अपने हिस्से को स्वतंत्र रूप से बेच सकती है। इस स्थिति में उसे भाई या किसी अन्य सह-स्वामी की सहमति की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन यदि संपत्ति अब तक संयुक्त स्वामित्व में है और बंटवारा नहीं हुआ है, तो बहन या कोई अन्य सह-स्वामी संपत्ति को बिना सभी सह-स्वामियों की सहमति के नहीं बेच सकता।
संयुक्त संपत्ति में बिक्री के लिए सहमति क्यों आवश्यक है?
संयुक्त रूप से स्वामित्व वाली पैतृक संपत्ति में प्रत्येक सह-स्वामी का कानूनी अधिकार होता है। इस कारण, कोई भी व्यक्ति अन्य सह-स्वामियों की जानकारी या सहमति के बिना उस संपत्ति को न तो कानूनी रूप से बेच सकता है और न ही ट्रांसफर कर सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह अन्य सह-स्वामियों के लिए अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का पूरा आधार बनता है।
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स्व-अर्जित संपत्ति और वसीयत के मामले में स्थिति अलग
अगर किसी संपत्ति को माता-पिता ने खुद अर्जित किया है, तो वह संपत्ति उनकी स्व-अर्जित संपत्ति-self-acquired property मानी जाती है। ऐसी संपत्ति पर उनका पूर्ण अधिकार होता है, और वे वसीयत के ज़रिये उसे किसी एक उत्तराधिकारी को दे सकते हैं। यदि कोई वसीयत नहीं है, तो उस स्थिति में वह संपत्ति पैतृक मानी जाएगी और सभी उत्तराधिकारियों को समान हिस्सा मिलेगा।
संपत्ति विवाद की स्थिति में कानूनी उपाय क्या हैं?
यदि कोई बहन या भाई बिना अन्य सह-स्वामियों की सहमति के संपत्ति बेच देता है, तो उसका विरोध कोर्ट में किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा (Temporary Injunction) के लिए याचिका दाखिल की जाती है, जिससे संपत्ति की बिक्री या उस पर निर्माण को रोका जा सके।
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