
बैंक खातों पर मंडरा रहा खतरा! अब फ्रीज हो सकते हैं अकाउंट, और इसके लिए बैंकों ने Reserve Bank of India (RBI) से विशेष अधिकार मांगे हैं। यह पहल Indian Banks’ Association (IBA) द्वारा की गई है, ताकि साइबर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी वित्तीय अपराधों को समय रहते रोका जा सके। मौजूदा कानूनों के तहत खातों को फ्रीज करने के लिए अदालत या कानून प्रवर्तन एजेंसियों की अनुमति अनिवार्य है, जिससे कई बार धोखेबाज़ों को बच निकलने का मौका मिल जाता है।
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म्यूल अकाउंट्स
म्यूल अकाउंट्स एक गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। ये ऐसे बैंक अकाउंट होते हैं जो या तो किसी निर्दोष व्यक्ति के नाम पर होते हैं या फिर फर्जी दस्तावेज़ों से खोले जाते हैं, और इनका उपयोग बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर ठगी में किया जाता है। प्रतिवर्ष हजारों ऐसे अकाउंट्स पकड़े जाते हैं, लेकिन जब तक कोई कानूनी अनुमति नहीं होती, बैंक इन खातों को त्वरित रूप से फ्रीज नहीं कर पाते। यह प्रक्रिया अपराधियों को आर्थिक ट्रांजेक्शन को अंजाम देने का समय देती है, जो कि वित्तीय व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक है।
खातों की सत्यापन प्रक्रिया होगी और मजबूत
IBA ने प्रस्ताव रखा है कि बैंकों को खाता खोलते समय Election Commission के डेटाबेस से Voter ID की वैधता को वेरीफाई करने की अनुमति मिले। साथ ही जिन ग्राहकों के पास PAN कार्ड नहीं है, उन्हें Form 60 के जरिए खाता खोलने की छूट मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसे खातों पर ट्रांजेक्शन की सीमा तय की जाए ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। यह कदम खातों की शुद्धता बढ़ाने और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए बेहद आवश्यक है।
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तकनीक से होगी ठगी पर लगाम
IBA ने बैंकों को सलाह दी है कि वे अपनी लेनदेन निगरानी प्रणाली में Artificial Intelligence (AI) और Machine Learning (ML) तकनीकों को शामिल करें। ये आधुनिक तकनीकें संदिग्ध पैटर्न को पहचान सकती हैं और संभावित फ्रॉड को रीयल टाइम में अलर्ट कर सकती हैं। यह सिर्फ एक निगरानी प्रणाली नहीं, बल्कि एक सक्रिय सुरक्षा कवच की तरह कार्य करेगी, जिससे समय रहते बैंक और ग्राहकों दोनों को सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।
मौजूदा कानूनी ढांचे की सीमाएं और समय की मांग
हालिया नियमों के तहत बैंक तब तक खातों को फ्रीज नहीं कर सकते जब तक उन्हें अदालत या एजेंसी से अनुमति नहीं मिलती। यह प्रोसेस कई बार इतनी धीमी होती है कि धोखेबाज़ लाभ उठाकर पैसे निकाल लेते हैं या ट्रांसफर कर देते हैं। इस चुनौती को देखते हुए IBA ने RBI से आग्रह किया है कि संदिग्ध ट्रांजेक्शन की स्थिति में बैंकों को तुरंत खाता फ्रीज करने की शक्ति दी जाए, ताकि वित्तीय अपराधों की रोकथाम प्रभावी ढंग से हो सके।
वित्तीय संस्थाओं में समन्वय की ज़रूरत
केवल तकनीक और नियम काफी नहीं हैं, बल्कि पूरे बैंकिंग तंत्र में समन्वय और सतर्कता की आवश्यकता है। इसके लिए बैंकों, RBI, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, और टेक्नोलॉजी कंपनियों के बीच नियमित डेटा शेयरिंग, प्रशिक्षण और साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना होगा। साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह समय की मांग बन चुकी है कि बैंक केवल रिएक्टिव न रहें, बल्कि प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाएं।