
Gold की कीमतें लगातार चढ़ाव पर हैं और अब विशेषज्ञों का मानना है कि यह ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका की नई टैरिफ नीति है, जिसके तहत सभी आयातों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है। इस फैसले के बाद ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितता बढ़ गई है और निवेशकों ने Gold को सुरक्षित निवेश के रूप में अपनाना शुरू कर दिया है।
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वैश्विक बाजार में Gold की कीमतों में उछाल क्यों?
अमेरिका की टैरिफ नीति ने केवल व्यापार जगत में ही नहीं, बल्कि निवेश बाजार में भी गहरी हलचल मचा दी है। निवेशक उन संपत्तियों की ओर तेजी से बढ़े हैं, जो ‘सेफ हेवन’ मानी जाती हैं—और Gold उनमें सर्वोपरि है। इसी के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत $3,167.57 प्रति औंस तक पहुंच गई है, जो हालिया वर्षों की सबसे ऊंची दरों में से एक है।
भारत में सोने के दामों में तेजी: ₹86,000 के पार
भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर Gold की कीमतें ₹86,000 प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर चुकी हैं। निवेशकों और ज्वैलरी सेक्टर दोनों की ओर से बढ़ती मांग इसका मुख्य कारण है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि मौजूदा वैश्विक स्थिति और अमेरिकी नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, तो Gold ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम तक का स्तर छू सकता है।
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केंद्रीय बैंकों की नीतियों का असर
अमेरिकी Federal Reserve और यूरोपीय सेंट्रल बैंक जैसे वैश्विक केंद्रीय बैंक जब ब्याज दरें घटाते हैं, तो ऐसे समय में Gold निवेश के लिए अधिक आकर्षक बन जाता है। क्योंकि कम ब्याज दरों का मतलब होता है—कम बॉन्ड यील्ड और अधिक रिटर्न की तलाश। इसी वजह से बाजार में सोने की मांग तेज होती है, और कीमतें ऊपर जाती हैं।
निवेशकों के लिए क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
Gold की कीमतें जिस तेज़ी से बढ़ रही हैं, वह एक अवसर भी है और एक चेतावनी भी। निवेशकों को यह समझना जरूरी है कि Global Market में उतार-चढ़ाव लंबे समय तक नहीं टिकते। इसलिए जल्दबाज़ी में भारी निवेश करने की बजाय बाजार की चाल और ट्रेंड को समझकर रणनीतिक रूप से छोटे निवेश करना ज्यादा समझदारी होगी। विशेषज्ञ सलाह के बिना किसी बड़े निर्णय से बचना चाहिए।
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