
घर में नकद राशि (Cash) रखना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इनकम टैक्स-Income Tax नियमों के अनुसार इसकी एक सीमा और शर्तें हैं जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। आयकर विभाग स्पष्ट करता है कि आप जब तक अपनी नकद राशि का स्रोत सही ढंग से दिखा सकते हैं, तब तक यह पूरी तरह वैध है। हालांकि, जांच के दौरान कैश की मात्रा और उसका दस्तावेजीकरण न होना आपको शक के घेरे में ला सकता है। यही कारण है कि घर में बड़ी नकदी रखने वालों को सतर्क रहने की जरूरत है।
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घर में नकदी की कोई सीमा नहीं, लेकिन हिसाब ज़रूरी
आयकर नियमों के अनुसार घर में कितनी भी नकद राशि रखी जा सकती है, इसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। लेकिन शर्त यह है कि वह नकदी आपकी घोषित आय से मेल खानी चाहिए और उसका पूरा लेखा-जोखा मौजूद होना चाहिए। अगर इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी छापेमारी करते हैं और नकद की राशि का कोई प्रमाण नहीं मिल पाता, तो यह अघोषित आय मानी जाती है।
कैश रखने पर कब आती है इनकम टैक्स विभाग की नजर?
अगर घर में रखे गए कैश की मात्रा ₹10 लाख या उससे अधिक है और उसकी रसीद या स्रोत का प्रमाण नहीं है, तो आयकर विभाग उसे संदेह की दृष्टि से देख सकता है। इसके अलावा बैंक में ₹2 लाख या उससे अधिक की नकद जमा या निकासी पर पैन और आधार नंबर देना अनिवार्य है। इसी तरह अगर साल भर में ₹20 लाख से अधिक नकद ट्रांजैक्शन किए जाते हैं और ITR फाइल नहीं की गई है, तो व्यक्ति टैक्स जांच के घेरे में आ सकता है।
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कैश का स्रोत वैध होना अनिवार्य है
यदि किसी व्यक्ति के घर से ₹20 लाख या उससे अधिक की नकदी बरामद होती है, और वह उसकी वैधता सिद्ध नहीं कर पाता है, तो इनकम टैक्स विभाग उस पर भारी जुर्माना और टैक्स वसूल सकता है। ऐसे मामलों में यह भी देखा जाता है कि नकद आय कहां से आई – जैसे प्रॉपर्टी की बिक्री, व्यापारिक लाभ या उपहार आदि। अगर स्रोत वैध है और दस्तावेज मौजूद हैं तो कोई समस्या नहीं होती।
आईटी रिटर्न और दस्तावेजों का रखें ध्यान
यदि आप नियमित रूप से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं और आपकी आय से मेल खाती नकदी घर में है, तो आप सुरक्षित हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपके पास वेतन पर्ची, बैंक स्टेटमेंट, व्यापार से संबंधित बिल, और अन्य जरूरी दस्तावेज सुरक्षित हों। डिजिटल भुगतान के इस युग में सरकार बड़ी मात्रा में नकद रखने को हतोत्साहित करती है, इसलिए पारदर्शिता जरूरी है।
डिजिटल लेन-देन को दें प्राथमिकता
इनकम टैक्स विभाग ने नकद लेन-देन पर सख्ती बढ़ा दी है। डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए UPI, NEFT, RTGS जैसे विकल्पों को अपनाना बुद्धिमानी होगी। इससे न सिर्फ आपका वित्तीय रिकॉर्ड पारदर्शी रहेगा, बल्कि किसी जांच की स्थिति में भी आपकी स्थिति मजबूत होगी।
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