
भारतीय रिजर्व बैंक-RBI ने हाल ही में बैंकिंग सेक्टर में कड़े कदम उठाते हुए देश के प्रमुख प्राइवेट बैंक HDFC Bank पर ₹75 लाख का भारी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बैंक द्वारा नो योर कस्टमर-KYC दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के चलते लगाया गया। RBI की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बैंक ने कई ग्राहकों को उनकी जोखिम प्रोफाइल के अनुसार वर्गीकृत नहीं किया था और कुछ मामलों में एक ही ग्राहक को एक से अधिक यूनिक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन कोड-UCIC जारी किए गए। यह RBI के नियामकीय मानकों का उल्लंघन है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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6 एनबीएफसी-NBFC के रद्द हुए लाइसेंस
RBI ने छह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) का पंजीकरण रद्द कर दिया है। यह फैसला नियामकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन और ग्राहक हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। जिन कंपनियों के CoR (Certificate of Registration) रद्द किए गए हैं उनमें तमिलनाडु की Thamiraparani Investments Private Ltd, Aramus Infrastructure Investments Ltd, Vishwapriya Gold Hire Purchase Ltd (अब Vishwapriya Finance Ltd), Matrix Financial Services Ltd, मध्य प्रदेश की Unitara Finance Ltd और गुजरात की Well Fin Securities Ltd शामिल हैं। RBI के मुताबिक ये कंपनियाँ अब वित्तीय गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकतीं।
11 एनबीएफसी ने स्वेच्छा से सरेंडर किया लाइसेंस
जहाँ एक ओर RBI ने 6 कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए, वहीं 11 NBFCs ने खुद आगे आकर अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र सरेंडर कर दिया। इनमें से 8 कंपनियों ने वित्तीय क्षेत्र से पूरी तरह बाहर निकलने का फैसला लिया, जबकि 3 कंपनियाँ किसी अन्य संस्था में मर्ज या स्वैच्छिक तरीके से बंद हो गईं। RBI ने स्पष्ट किया कि इन सभी कंपनियों ने अपने CoR स्वेच्छा से सरेंडर किए हैं और अब वे NBFC के रूप में काम नहीं करेंगी।
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RBI की सख्ती क्यों जरूरी है?
RBI की इन कार्रवाइयों का उद्देश्य वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखना है। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें नियमों की अनदेखी से आम निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। RBI का यह प्रयास यह सुनिश्चित करता है कि सिर्फ वही संस्थाएँ बाजार में टिकें जो नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करती हैं और ग्राहकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं।
क्या निवेशकों को घबराने की जरूरत है?
इन कार्रवाइयों के बावजूद आम निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। RBI का मकसद केवल उन संस्थाओं को हटाना है जो तय मानकों पर खरे नहीं उतरतीं। जो कंपनियाँ RBI से मान्यता प्राप्त और सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं, वे निवेशकों के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं। निवेश करने से पहले संस्था की वैधता की जांच करना हमेशा फायदेमंद होता है।
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