
UP Board Result 2025 को लेकर हाल ही में एक नोटिस सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि रिजल्ट 15 अप्रैल को घोषित किया जाएगा। लेकिन यह नोटिस पूरी तरह से फर्जी पाया गया और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इसे नकार दिया। छात्रों और अभिभावकों में इस फर्जी सूचना ने अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया, जिससे शिक्षा विभाग को स्पष्ट बयान जारी करना पड़ा।
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फर्जी नोटिस का सच और उसकी पहचान
जो नोटिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मैसेजिंग ऐप्स पर घूम रहा था, उसमें UP Board का प्रतीक चिह्न, हस्ताक्षर और तारीख जैसे सभी आवश्यक दिखने वाले तत्व मौजूद थे, जिससे वह असली लग रहा था। लेकिन गहराई से जांच करने पर स्पष्ट हुआ कि यह नोटिस किसी आधिकारिक स्रोत से जारी नहीं हुआ था। UPMSP ने बताया कि बोर्ड ने अब तक रिजल्ट घोषित करने की कोई तारीख तय नहीं की है और ना ही ऐसा कोई दस्तावेज जारी किया गया है। छात्रों को आगाह किया गया कि वे किसी भी अनाधिकारिक स्रोत पर विश्वास न करें।
छात्रों के मन में फैली भ्रम की स्थिति
रिजल्ट को लेकर छात्रों में पहले से ही एक प्रकार की बेचैनी रहती है, ऐसे में इस तरह की अफवाहें उन्हें और अधिक तनाव में डाल देती हैं। कई छात्रों ने यह सोचकर तैयारी शुरू कर दी थी कि अगले ही दिन उनका परिणाम घोषित होने वाला है। कोचिंग सेंटर्स और स्कूलों में छात्रों की ओर से पूछताछ का दौर शुरू हो गया, जिससे पूरे सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव बना। ये घटनाएं दिखाती हैं कि गलत सूचना किस तरह से एक बड़े वर्ग को प्रभावित कर सकती है।
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बोर्ड की आधिकारिक प्रतिक्रिया और सलाह
UP Board ने तुरंत संज्ञान लेते हुए यह स्पष्ट किया कि रिजल्ट से संबंधित कोई भी सूचना केवल upmsp.edu.in और upresults.nic.in पर ही उपलब्ध कराई जाएगी। बोर्ड सचिव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों और उनके अभिभावकों को अफवाहों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। साथ ही, यह भी कहा गया कि रिजल्ट से जुड़ी कोई भी सूचना एक प्रेस नोट और अधिकृत चैनलों के माध्यम से साझा की जाएगी, जिससे भ्रम की कोई स्थिति न रहे।
डिजिटल दौर में फेक न्यूज़ की चुनौती
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि डिजिटल युग में सूचना की सत्यता को लेकर किस प्रकार की चुनौतियाँ सामने आती हैं। फर्जी नोटिस बनाना और उसे वायरल करना अब पहले से कहीं आसान हो गया है। यही कारण है कि छात्रों और अभिभावकों को सोशल मीडिया की हर खबर पर विश्वास करने से पहले दो बार सोचने की जरूरत है। बोर्ड जैसे संस्थानों की साख और छात्रों का मनोबल, दोनों ही इस तरह की घटनाओं से प्रभावित हो सकते हैं।
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