
चालान माफ कराने का असली और कानूनी तरीका अब पूरी तरह सामने आ चुका है। यदि आपने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया है और चालान कट गया है, तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। लोक अदालत (Lok Adalat) के ज़रिए आप न केवल चालान माफ करवा सकते हैं, बल्कि हजारों रुपये का भुगतान करने से भी बच सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल आसान है बल्कि पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी भी है।
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लोक अदालत के ज़रिए चालान कैसे माफ होता है
लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद निवारण प्रणाली है जिसे भारत की न्याय प्रणाली द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह अदालतें विशेष रूप से उन मामलों को तेजी से सुलझाने के लिए लगाई जाती हैं जो लंबे समय से लंबित हैं, जिनमें ट्रैफिक चालान भी शामिल हैं। अगर आपका ट्रैफिक चालान लंबित है और आप चाहते हैं कि वह सुलझ जाए या उस पर छूट मिल जाए, तो आप लोक अदालत में आवेदन कर सकते हैं। यहां कई बार चालान की राशि में बड़ी छूट दी जाती है या मामूली भुगतान लेकर उसे पूरी तरह निपटा दिया जाता है।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है
चालान माफ कराने के लिए आपको सबसे पहले अपने राज्य की State Legal Services Authority (SLSA) की वेबसाइट पर जाना होता है या e-Courts की साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होता है। यहां आप अपने वाहन नंबर या चालान नंबर डालकर यह देख सकते हैं कि आपका केस लोक अदालत में शेड्यूल है या नहीं। अगर है, तो आप एक अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं और निर्धारित दिन लोक अदालत में उपस्थित हो सकते हैं।
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लोक अदालत में क्या ले जाएं और कैसे करें पेशी
अपनी अपॉइंटमेंट की तारीख पर आप लोक अदालत पहुंचें और अपनी बारी का इंतजार करें। अपने साथ ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), आधार कार्ड और चालान की कॉपी जैसे जरूरी दस्तावेज़ जरूर रखें। न्यायाधीश आपकी स्थिति को समझकर चालान की राशि को कम कर सकते हैं या माफ भी कर सकते हैं, यदि मामला बहुत पुराना हो या ट्रैफिक उल्लंघन मामूली हो। वहां आपको तयशुदा राशि का भुगतान करना होता है और उसका भुगतान रसीद के साथ पूरा किया जा सकता है।
किन चालानों में मिलती है राहत, और किनमें नहीं
लोक अदालत में ज्यादातर उन्हीं ट्रैफिक चालानों का निपटारा होता है जो हल्के नियम उल्लंघन से जुड़े होते हैं जैसे कि बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, रेड लाइट जंप करना या ओवरस्पीडिंग। यदि आपने शराब पीकर गाड़ी चलाई है, दुर्घटना की स्थिति में शामिल हैं या गंभीर अपराध में लिप्त हैं, तो ऐसे चालान लोक अदालत में नहीं सुलझाए जाते। इसलिए यदि मामला मामूली है तो लोक अदालत आपके लिए एक बेहतरीन अवसर हो सकता है।
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